कोरिया- जापान समझौता (फरवरी 23, 1904)
इस समझौते के प्रस्तावना पत्र ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यी जी-योंग, कोरिया साम्राज्य के प्रधान स्थली सेनाधिपति और कार्यकारी विदेश मंत्री, और हायासी गोनस्के, जापानी साम्राज्य के सम्राट के विशेष राजदूत और सभी मामलों के अधिकारी, दोनों को प्रस्तावित द्विपक्षीय समझौते के विशेष मुद्दों पर समझौता करने की शक्ति दी थी ।
अनुच्छेद 1 : कोरिया और जापान के बीच स्थायी और गहरी मित्रता बनाये रखने के लिए और सुदूर पूर्व में शान्ति स्थापित करने के उद्देश्य से, कोरिया साम्राज्य के सरकार पूरी तरह से जापानी सरकार पर भरोसा रखेगी और प्रशासन मे सुधार हेतु दिये गए सलाह को स्वीकार करेगी । अनुच्छेद 2 : जापानी साम्राज्य के सरकार गहरी मित्रता के अनुकूल कोरिया साम्राज्य के राजघरानों की शान्ति और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी ।
अनुच्छेद 3 : जापानी साम्राज्य के सरकार निश्चित रूप से कोरयाई सम्राज्य की स्वतन्त्रता और क्षेत्रीय सुदृढ़ता का जिम्मा लेगी ।
अनुच्छेद 4 : अगर कोरिया राजघरानों के कल्याण या क्षेत्रीय सुदृढ़ता पर तीसरे देशों के आक्रमण या देशद्रोह का खतरा उत्पन्न होता है तो जापानी सरकार शीघ्र ही परिस्थिति के अनुरूप आवश्यक कदम उठाएगी, और इस स्थिति में कोरियाई सरकार जापानी सरकार के कार्यवाही को बढ़ावा देने में हर प्रकार की सुविधा मुहैया करायेगी ।
जापानी सरकार उपर्युक्त उद्देश्य की पूर्ति हेतु रणनीति के मुताबिक आवश्यक किसी भी क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित कर सकती है ।
अनुच्छेद 5 : दोनों देशों में से कोई भी देश, बिना एक-दूसरे की सहमति के, तीसरे देशों के साथ ऐसी किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगी जो वर्तमान समझौते के सिद्धांतों के प्रतिकूल हो ।
अनुच्छेद 6 : हालत को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समझौते से संबन्धित विवरण में परिवर्तन कोरिया के विदेश मंत्री और जापानी सम्राट के प्रतिनिधि के द्वारा ही किया जाएगा ।
ग्वाँगमूके आठ वर्ष (1904) फरवरी 23
यी जी-योंग, कोरिया साम्राज्य के प्रधान स्थली सेनाधिपति और कार्यकारी विदेश मंत्री
मैजीके 37 वर्ष (1904) फरवरी 23
हायासी गोनस्के, जापानी सम्राट के विशेष राजदूत और सभी मामलों के अधिकारी