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मटेरियल केंद्र

Dokdo, Beautiful Island of Korea

जापानी आक्रमण के बारे में कोरियाई जनता की जागरूकता

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दाईहन मेईल शिनबो

छियोममांगजिओंदो, 『दाईहन मेईल शिनबो』 (नवम्बर 26, 1905)

〔अनूदित लेख〕

संपादकीय लेख
छियोममांगजिओंदो(आगे आने वाले पथ की ओर देखना)
इस तथ्य को पहचान कर कि जापान के सम्राट का सन्देश जिसमें उन्होंने जापान के राजनयिक मंत्री हयाशी द्वारा उल्सा निषेध संधि के अर्ध सरकारी प्रकाशन कराये जाने की प्रशंसा की, संदिग्घता को देखते हुए, हमें चिंतित होना चाहिए, यह सन्देश हमें सूचित करता है कि जापान इस बात पर जोर देगा कि संधि प्रमाणिक है इसे जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए, चाहे कोरिया के सम्राट जैसा कि पहले रिपोर्ट किया गया था कि यदि इस संधि की स्थापना की परिस्थितियों की चर्चा की जाये, तब यह विश्वास नहीं किया जा सकता था कि किसी भी शक्ति ने जापान को छोड़कर इसे लागू करने की अनुमति दी होगी, जो इस फैसले में भागीदारी चाहती थी और जिसे कमतर देखा गया ।
जापान आधिकारिक निर्णयों के आधार पर संरक्षक के पद को दावा करने की पुरजोर कोशिश करेगा । यद्यपि, यह स्पष्ट रूप में पहले कहा जा चुका है कि यह आयरलैंड के गवर्नर-जनरल के प्रकरण से अलग नहीं होगा, जहाँ गवर्नर-जनरल अपने कर्तव्यों का यथायोग्य निर्वाह ना करते हुए भी अपने कार्यालय के सारे लाभ ले रहे हैं । जापानी लोग हमेशा अपने व्यवसाय में सरकारी सहायता की आशा करते रहे हैं, इसलिए लोगों ने इस संधि को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाया । वे कोरिया में अपरिमित अधिकार पाने की आशा करेंगे । जापान से कोरियाई लोगों के साथ निष्पक्ष रूप से व्यवहार करने की आशा है किन्तु निष्पक्ष इकरारनामे अवरोध के रूप में काम करेंगे । जापानियों की इच्छाएँ असामान्य होंगी । दुर्भाग्यवश, नये रेजीडेंट-जनरल मुसीबतों और दुर्घटनाओं को टालने की स्थित में नहीं होंगे ।
जापान के लिए कोरिया के घरेलू मामलों में दखल देना असंभव होगा किन्तु संधि के आधार पर वह निश्चित रूप से दखल देना आवश्यक समझेगा । कुछ दिनों बाद, दुसरे देश भी कोरिया में मिलने वाली छूटों को एक अच्छे अवसर के तौर पर प्राप्त करने की कोशिश करेंगे । यदि जापान इस आपदा को टालना चाहता है तब उसे कोरियाई लोगों से सहजता तथा ईमानदारी पूर्वक व्यवहार करना पड़ेगा । हालाँकि, जैसा कि पहले से ही सोचा और जांचा-परखा गया है, इस तरह की नरम नीति निश्चित रूप से अपने ही नागरिकों द्वारा उठाई गई बहुत सी माँगों के कारण बहिष्कृत हो जाएगी । हमें किसी भी कीमत में इसे रोकने की आवश्यकता है । जापान कोरियाई लोगों से सहायता और दयालुता की आशा नहीं कर सकता है । यदि हमारा हाल के कड़वे दुःख को और अधिक बढ़ाया जाता है, उस स्थित में जापान की दान एवं उदार नीति को भी विरोध और अविश्वास झेलना होगा ।
विश्व की चिरकालिक शांति बहुत दूर है जिसे पाने की आशा भी नहीं की जा सकती है । ना केवल यह, बल्कि लोग वर्तमान में चल रहे युद्ध* की जटिलता को देखकर आगामी 10 वर्षों में दूसरा युद्ध होने की सम्भावना कर रहे हैं । यह याद रहना चाहिए कि पिछले युद्धों में जापान के लिए मामले आसान थे क्योंकि जापान अपने सैन्य बल और कोरिया की समझौता करने की उदार इच्छा के फलस्वरूप सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सका । वर्तमान परिस्थित को देखते हुए, मैं निश्चित तौर से कह सकता हूँ कि कोरियाई लोग जापानियों को कोरिया से निर्वासित करने में अधिक से अधिक खुश होते (यदि वे ऐसा कर पाते) ।

* रूस-जापान युद्ध (1904-1905)

〔मूल लेख〕

Original Text