> मटेरियल केंद्र > दोक्दो, कोरियन प्रायद्वीप में जापानी अधिक्रमण का पहला शिकार > जापानी आक्रमण के बारे में कोरियाई जनता की जागरूकता
दाईहन मेईल शिनबो
संपादकीय लेख
ह्वांगसोंग का कर्तव्य
उल्सा निषेध संधि के सम्बंध में, कल ह्वांसोंग अख़बार के पत्रकार ने निम्नलिखित रिपोर्ट बनायी : कोरियन सम्राट का वक्तव्य, जिसमें उन्होंने स्पष्टत: राजदूत इतो की अतार्किक निवेदन को अस्वीकार कर दिया; शाही महल में जापानी सिपाहियों का बलात प्रवेश जो सिंहासन को आतंकित करने की कोशिश की; इतो ने कोरियाई दरबार के मंत्रियों को धमकी तथा प्रलोभन देने की कोशिश की; कोरियाई उपप्रधान मंत्री द्वारा संधि पर मुहर लगाने से अस्वीकार कर देना; और मंत्रियों के द्वारा अपने राजा के प्रति किये गये बहुत से बुरे कामों की वजह से राष्ट्रीय संप्रभुता का खोना ।
अख़बार भी इस दृश्य को प्रस्तुत करता है । क्योंकि सम्राट ने संधि के लिए शाही अनुमति नहीं दी थी और ना ही उपप्रधानमंत्री ने संधि पर अपनी मुहर लगायी ; इसलिए यह निश्चित रूप से अप्रभाविक हो जाएगा । उन्होंने इसे नियंत्रित नहीं किया और सुबह ही इसका वितरण कर दिया । वे अपने पद पर रहे और इंतजार किया । सचमुच जापानी पुलिस और अन्य लोग अख़बार के प्रमुख के पास उन्हें गिरफ्तार करने आये और उसकी प्रकाशन पर रोक लगा दिये ।
हाय ! ह्वांगसोंग शिनमुन(अख़बार) के पत्रकारों ने न केवल अपने कर्तव्यों को त्यागा बल्कि कोरियाई लोगों को सत्यनिष्ठ, विश्वासपात्र बताया । एक संपादकीय लेख जिसका शीर्षक था “बांगसोंगदाईगोक (मैं इस दिन करुण विलाप करता हूँ)”, कोरियाई साम्राज्य में ऐसा कोई नहीं है जो इसे पढ़ने पर विलाप न करे, कोई भी सहृदय व्यक्ति चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने से हो, कोरिया की गंभीर स्थित को देख कर खेदबद्ध और क्रोधित जरूर होगा । हाय ! ह्वांगसोंग शिनमुन के पत्रकारों के कलम सूर्य और चन्द्रमा की चमक से लोहा ले ।