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दोक्दो, कोरियन प्रायद्वीप में जापानी अधिक्रमण का पहला शिकार

05. उल्लुंग्दो वैज्ञानिक अभियान रिपोर्ट (अन्तिम), हाँग जोंग-इन के द्वारा, 『हानसोंग इल्बो』 (सितम्बर 26, 1947)

  • 한성일보

हानसोंग इल्बो

उल्लुंग्दो वैज्ञानिक अभियान रिपोर्ट (अन्तिम), हाँग जोंग-इन के द्वारा, 『हानसोंग इल्बो』 (सितम्बर 26, 1947)

[अनूदित लेख]

उल्लुंग्दो वैज्ञानिक अभियान रिपोर्ट (अन्तिम), हाँग जोंग-इन के द्वारा

1) उस द्वीप के लोग देखने में काफी तंदरुस्त और मजबुत दिखते थे । मेडिकल यूनिट के जाँच करने पर यह पता चला कि वहाँ क्षय रोग (Tuberculosis) महामारी के तरह फैली थी और कई लोगों को ट्रेकोमा (Trachoma) और पेट से जुड़ी बिमारीयाँ थी । ऐसी परिस्थिति में समुचित स्वास्थ सेवा, साफ़-सफाई और जागरूकता की जरूरत है । इस द्वीप पर सिर्फ एक डॉक्टर है और कुछ नीम-हकीम । यहाँ कि जनसंख्या 15,000 है मगर मुख्य भूमि और इस जगह में डॉक्टर और लोगों के औसत के हिसाब से कोई फर्क नहीं है । अभी भी औसत कम ही है द्वीप पर उचित यातायात सुविधा न होने के कारण और XXX की कमी भी इस बात की ओर ध्यान इंगित करती है की खराब स्वास्थ्य को सुधारने के लिए जरूरी उपाय करने चाहिए ।

1) रक्षात्मक नीति की सख्त जरूरत आगे दिये गये निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है: यदि हम उल्लुंग्दो के भूमि के गिरावट के लिए बचाव करे और आत्म प्रवृत्त बर्बादी को बढ़ावा ना दें, कुछ यह मानने से इनकार कर देंगे और कुछ लोग तो इसपर हँस भी सकते हैं । इतने बड़े खर्च को ध्यान में रखते हुए वे बहस कर सकते हैं कि उल्लुंग्दो केवल एक ही क्षेत्र नहीं है कोरिया में और भी जगहें हैं और इस तर्क के साथ सरकार विरोध भी कर सकते हैं उल्लुंग्दो के लोगों और भूमि के लिए बजट बनाने और पैसा खर्च करने से, सभी आठ प्रांत इसमें शामिल । फिर भी उन्हें उल्लुंग्दो की सामरिक महत्व को समझना चाहिए जो कि पूर्व सागर का एक एकांत क्षेत्र है और हमारे टेरिटरी में है । पहले इस द्वीप पर हमेशा से रूसी शाही लोगों का कब्जा था और आक्रामक जापानी भी थे अपने उद्योग और सामरिक कार्यों के उद्देश्य से: वे सब पूर्वी सागर में अपना आधार स्थापित करना चाहते थे । अभी वर्तमान समय में हमारे देश को पुनर्निर्माण के साथ साथ शांतिपूर्वक उद्योग और संस्कृति को स्थापित करना चाहिए विशेष तौर पर समुद्र क्षेत्र विस्तार और समुद्री मछली के व्यापार पर । इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए उल्लुंग्दो (उल्लुंग्दो) को ईश्वर का वरदान मानकर एक शक्तिशाली राष्ट्र का आधार पूर्वी सागर में स्थापित करे । प्रश्न यह है की हम इसकी महत्वपूर्णता को समझ पाते हैं या नहीं ।
सरकार का काम सिर्फ राष्ट्रीय सम्पत्ति को हथियाना नहीं होता है । राष्ट्रीय सम्पत्ति को सही ढंग से उपयोग कर राष्ट्रीय शान्ति को बढ़ाया जा सकता है । सुरक्षा की आपातकालीन उपाय इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि उल्लुंग्दो एक निर्जन द्वीप है बीच समुद्र में । निर्जन द्वीप पर और मुख्य भूमि पर पहुँचने के रास्ते स्पष्टतः अलग अलग हैं और प्राकृतिक XXX तथ्य अब XXX XXX हैं । द्वीप की अस्थिर उत्पादकता, कमजोर टेक्नोलॉजी और अपरिपक्क संस्कृति सिर्फ कुछ ही स्तर तक विकसित करने में सहायक होंगी और अगर अन्तिम चरण तक पहुँच गये तो फिर आत्मविनाश होगा ।
आगे कोई भी विकास सम्भव नहीं होगा बिना बाहरी कैपिटल और टेक्नोलॉजी के । किसी को भी साफ दिख रहा होगा की उल्लुंग्दो इस रास्ते पर बढ़ गया है । अभी भी यहाँ के लोग सालों से XXX के वास्तविकता की समझ से परे अपनी जिन्दगी काट रहे हैं । अभी उनको मदद करने की निहायत जरूरत है ताकि वे बहादुरी से जी सकें और अपना कर्त्तव्य पूरा करें, हमारे पवित्र प्रदेश की पूर्वी सागर में रक्षा करें और हमारे देश के विकास में सहायता करें ।
लोकल और केन्द्रीय सरकार दोनों को इस विषय पर ध्यान देना चाहिए । सामान्य जनता XXX को पसंद करते हैं । यहाँ मैं अभियान दल के रिपोर्ट का संक्षिप्त प्रारूप प्रस्तुत करता हूँ ।

(सितम्बर 16)(लेखक अभियान दल के हेड क्वार्टर के डिप्टी कप्तान हैं ।)

[मूल लेख]

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