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मटेरियल केंद्र

Dokdo, Beautiful Island of Korea

दोक्दो, कोरियन प्रायद्वीप में जापानी अधिक्रमण का पहला शिकार

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उल्सानिषेध संधि
(ग्यूजांगाक का संग्रह)

उल्सानिषेध संधि (नवंबर 17, 1905 )

〔अनूदित लेख〕

जापान और कोरियाई सरकार ने दोनों साम्राज्यों को एकजुटता के सिद्धांत को सुदृढ़ करने के लिए सहमति जाहिर की और दोनों इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि जापान उस क्षण तक कोरियाई सरकार पर दबाव बनाएगी जबतक कोरिया की राष्ट्रीय शक्ति में बढ़ावा हो जाये ।

अनुच्छेद 1 : जापानी सरकार अपने विदेशी मंत्रालय टोक्यो के माध्यम से कोरिया के विदेशी संबंध एवं मामलों पर नियंत्रण रखेगी और विदेश में रहने वाले कोरिया के अधिकारी और लोगों के हितों का ख्याल जापान के कूटनीतिज्ञ और प्रतिनिधियों द्वारा रखा जाएगा।
अनुच्छेद 2 : जापानी सरकार कोरिया और अन्य देशों के बीच हुए समझौते की कार्यवाही का देख-रेख करने की जिम्मा लेगी और कोरिया की सरकार जापानी सरकार के मध्यस्थता बिना अंतराष्ट्रीय प्रकृति के किसी भी प्रकार की समझौता तथा प्रतिज्ञा नहीं करने का वचन करेगी ।
अनुच्छेद 3 : जापानी सरकार कोरियाई सम्राट के दरबार में, जो सीओल में स्थित है, अपने रेजीडेन्ट जनरलके माध्यम से जापान का प्रतिनिधित्व करेगी और मुख्य रूप से कूटनीति के मामलों की ज़िम्मेदारी लेते हुए निर्देश जारी करेगी । रेजीडेन्ट जनरल पूरी तरह से कूटनीति मामलों पर नियंत्रण रखने के लिए कोरियाई सम्राट के साक्षात्कार करने का अधिकार रखेगा । जापानी सरकार को कोरिया के बन्दरगाहों और अन्य जगहों पर आवश्यकता के अनुसार निदेशक को नियुक्त करने का अधिकार होगा । निदेशकरेजीडेन्ट जनरल के निर्देश के तहत, कोरिया में जापानी दूतों के माध्यम से अपनी शक्तियों और कार्यों को इस समझौते के प्रावधानों के अनुरूप पूरा करेगी ।
अनुच्छेद 4 : जापान और कोरिया के बीच हुए संधि और अनुबंध, जो समझौते के प्रावधानों के प्रतिकूल न हो, इसका बलपूर्वक पालन किया जाएगा।
अनुच्छेद 5 : जापान सरकार कोरिया के राजघराने का कल्याण और प्रतिष्ठा को बरकरार रखने का आश्वासन देगी ।

ऊपर उक्त प्रमाणों के अनुसार दोनों सरकारों के प्रतिनिधियों को विश्वाश में लेकर इस समझौते पर हस्ताक्षर और मोहर लगाई गई है ।

ग्वाँगमूके आठ वर्ष (1905) नवंबर 17

पार्क जे-सून, विदेश मंत्री (मुहर)

मैजी के 38 वर्ष (1904) नवंबर 17

हायासी गोनस्के, जापानी सम्राट के विशेष राजदूत और सभी मामलों के अधिकारी (मुहर)

〔मूल लेख〕

Original Text