> मटेरियल केंद्र > दोक्दो, कोरियन प्रायद्वीप में जापानी अधिक्रमण का पहला शिकार > जापानी आक्रमण के बारे में कोरियाई जनता की जागरूकता
सिनहान मिन्बो
संपादकीय लेख
ओहो गुहान इसायुई (आह ! पुराना कोरिया मर चुका है)
आह ! पुराना कोरिया पहले ही मर चुका है ।
आसमान गिर पड़ा और जमीन फट गयी । टूटे हुए ह्रदय और भावुकता से मैं खून के आंसू रो रहा हूँ, मेरी घिघ्घी बंध गयी है । कोरिया 4243 वर्षों से 82000 बांगरी क्षेत्रफल वाला देश रहा है । यह ऐसा देश है जहाँ 2 करोड़ लोग रहकर देश की प्राचीन सभ्यता को प्रगतिशील रखते हैं । किसने सोचा होगा कि रातोंरात जापानी आक्रमणकारी सामदो(Samdo) ** की शातिर तलवार इस देश को नष्ट कर देगी । आह ! कोरिया अब मर चुका है । किन हाथों ने इसे मारा । अपने दुश्मन से बदला लिए हुए बिना हम चैन की नींद नहीं सोएँगे । हमें अपनी खोई हुई अस्मिता वापस लानी होगी ।
4713 किलोमीटर दूर हमारे साथी भी इस बुरी खबर को सुनकर अपना दुःख और रोष प्रकट कर रहे हैं । वे जब स्वर्ग को पुकारते हैं कोई उत्तर नहीं आता है । वो जब जमीन को खटखटाते हैं कोई उत्तर नहीं मिलता । यह बुरी खबर सुनने की अपेक्षा उन्हे आत्महत्या कर लेनी चाहिए थी । इस दुःख और रोष के साथ हम अपनी आँखों को बंद करके बदला लेने की तैयारी करेंगे । तब खेद और लज्जित होने की कोई वजह नहीं रह जाएगी । लज्जित मत हो और बाहर निकलो । तलवारें उठालों, बन्दूके तान लो, तोप ले लो और जिसने हमारे देश का कत्ल किया है उस शत्रु को मिटा दो, क्योंकि देश का कत्ल करने वाला हमारे माता-पिता के कातिलो से भी बुरा दुश्मन है हमारे लिए । यदि हममें से प्रत्येक 2 जापानियों को संभाल ले तब हम आसानी से इन जापानी आक्रमणकारियों का नामोनिशान मिटा देंगे । कोई भी भला आदमी खुशी से इस काम को बिना बहस के करेगा ।
जैसा कि पुरानी कहावतों में कहा जाता है, यदि एक चीता तुम पर हमला करे, तुम्हे घसीटे, काट ले, तुम तब तक जीवित रह सकते हो, जब तक तुम अपना सिर उससे बचाये रख पाओ। इसका मतलब है कि मानसिक संतुलन बनाये रखने से तुम्हे जीवित होने का एक अवसर जरूर मिलेगा । कोरियाई लोगों, अपने सर को ऊँचा उठाओ ! हमारे संस्थापक दांगुन(Dangun) द्वारा बनाये गये इस राष्ट्र की शोक संतप्तता तुम्हारे विवेक को एकत्रित करेगी । यदि हम अपना सर बचा लेंगे, हम जिन्दा रहेंगे, लेकिन यदि हमने अपना सर खो दिया तब किसी तरह की कोई भी आशा नहीं है । हमें अपने मजबूत इरादों के साथ जल्द से जल्द रक्तरंजित युद्ध के लिए तैयार होना है ।
घरेलू और जर्मन मीडिया की रिपोर्टों को तुलनात्मक अध्ययन करने से यह पता चलता है कि जापानी सैनिक हर 4 किलो मीटर की दूरी पर तैनात हैं । जापानियों ने हमारे देशवासियों को हिरासत में लेकर राजधानी के चप्पे चप्पे पर जापानी सैनिकों और पुलिस को तैनात कर दिया। राजधानी रेगिस्तान की तरह बंजर हो गयी है । ऐसे हालातों को सोचते हुए, जहाँ हमारे हमवतन आसानी से साँस भी नहीं ले सकते हैं, हमारा दिल कुचला जा रहा है, आँखों में खून उतर रहा है ।
विदेशी जो हमें थोड़ा भी नहीं समझते हैं, कह रहे हैं कि कोरियाई लोग असहाय हैं और अब राज्यहरण का अपमान झेलकर भी पीछे नहीं हट रहे हैं । ऐसे विदेशी जापानियों के कुटिल शब्दों पर ही विश्वास करते हैं । हमें अपने देशवासियों की हालत का अहसास है जैसे ये हमारी आँखों के सामने हो रहा हो । दबा हुआ गुस्सा अब शीर्ष स्तर पर पहुँच चुका है, जब यह फटेगा यह स्वर्ग और पृथ्वी दोनों इस तरह से झिंझोड़ देगा जैसे आग में बारूद डाल दी गयी हो । हमारे कोरिया में उपस्थित देशवासी बारूद हैं और हम ज्वाला हैं, और एक दिन हम पलीते की तरह मिल कर पिघल जायेंगे । यह इस पत्रकार द्वारा खोया हुआ शब्द (XXX) नहीं है, 2 करोड़ लोगों के पास इसके सिवा और कोई चारा नहीं है ।
हम कभी भी जापानी सम्राट के समक्ष अपने घुटने नहीं टेकेंगे, हम जापानियों का कानून कभी नहीं मानेंगे और हम कभी भी उनके गुलाम नहीं बनेंगे । हमें अपने कर्तव्यों का बोध करते हुए एक होना है, हमें अपने कोरियाई संगठनो तथा सम्प्रभुता परक कानून बनाकर अपनी अस्थायी सरकार बनानी है जो अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर अन्य देशों से पत्र-व्यवहार करें ।
* सिनहान मिन्बो : यु.एस. में कोरियाइयों द्वारा निकाला जाने वाला अखबार है ।
** सामदो अथवा “तीन महाद्वीप” जो सूचित करते हैं स्सुशिमा, इकी महाद्वीप और मत्सूरा, जहाँ जापानी समुद्री डाकू पाये जाते थे ।