Korean Islands, Korean territory, Dokdo, Tokdo | MOFA Republic of Korea

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हमारे प्रान्त होने का सबूत

512

उसान प्रदेश का आधिपत्य
1454

『सेजों सिल्लोक 』『जिरीजी』
1625

दखेशिमा(उल्लुंग्दो) जलमार्ग के लिए लाइसेंस
1693

आन योंग-बोक का जापानियों द्वारा अपहरण
1694

उल्लुंग्दो सुठो(मुआयना) प्रथा फैसला
1695

जापान के दोत्थोरी प्रदेश का जवाब
1696

जनवरी, दखेशिमा(उल्लुंग्दो) जलमार्ग प्रतिबन्ध
1696

मई, आन योंग-बोक की जापान की समुद्र यात्रा
1770

『 डोंगगुक मुंहन बिगो』 『यजिगो』
1870

『 जोसन गुक्ग्योजे सिमालनैथामस』
1877

『 थैजंगग्वान आदेश』
1900

शाही धारा संख्या 41
1905

शिमाने प्रान्त सार्वजनिक नोटिस संख्या- 40
1906

मार्च, उल्दो काउंटी मजिस्ट्रेट शिम हंगथैक की रिपोर्ट मई, उईजंगबू उप-प्रधानमंत्री निर्देशक संख्या 3
1946

29 जनवरी, 9 मित्र देशों की शक्तियों के सुप्रीम कमांडर का ज्ञापन संख्या(SCAPIN)-677 22
जून, मित्र देशों की शक्तियों के सुप्रीम कमांडर का ज्ञापन संख्या (SCAPIN)-1033
1951

सैन फ्रांसिस्को शांति समझौता

512

1454
Samguksagi (The Chronicles of the Three Kingdoms)
सामगूकसागी
(तीन राज्यों का काल)

उसान प्रदेश का आधिपत्य

सिल्ला राज्य के जनरल इसाबु ने उसान प्रदेश को पराजित कर उसान प्रदेश को सिल्ला राज्य के अधीन कर दिया।

इस तरह उल्लुंग्दो और दोक्दो का इतिहास कोरिया के इतिहास के साथ जुड़ गया।

『दोंगुक मुनहन बीगो (कोरिया से सम्बंधित दस्तावेजों का संकलन, सन 1770)』 में भी उल्लुंग(उल्लुंग्दो) और उसान(दोक्दो) दोनों को उसान प्रदेश का भाग बताया गया है।

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512

1454

1625
Sejong Sillok, Jiriji (Geography Section of the Annals of King Sejong's Reign)
सेजों सिल्लोक जिरीजी
(भूगोल खंड, सेजोंग इतिहास वृत्तांत)

『सेजों सिल्लोक 』『जिरीजी』(भूगोल खंड, सेजोंग इतिहास वृत्तांत)

सन 1454 में प्रकाशित जोसन (कोरियाई) सरकार के 『सेजों सिल्लोक 』 『जिरीजी』 में यह दर्ज है कि उल्लुंग्दो और दोक्दो, कांगवन प्रांत के उल्जिनह्यन में स्थित दो द्वीप हैं।

साथ ही यह भी दर्ज है कि “ खास तौर पर उसान(दोक्दो) और मुरुंग(उल्लुंग्दो) एक दूसरे से ज्यादा दूर नहीं है और अगर मौसम साफ हो तो आसानी से दोनों देखे जा सकते हैं ।” मौसम साफ होने पर उल्लुंग्दो से नंगी आँखों से दिखने वाला एकमात्र द्वीप दोक्दो है।

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1454

1625

1693
View of Ulleungdo, Original Source : Ulleung-gun Office
उल्लुंग्दो पैनोरमा
साभार(मूल स्रोत): उल्लुंग्दो जिला कार्यालय

दखेशिमा(उल्लुंग्दो) जलमार्ग के लिए लाइसेंस

जापानी सामंती सरकार ने दोत्थोरी प्रदेश में रहने वाले ओरा और मुराखावा परिवारों को दखेशिमा(उल्लुंग्दो) जलमार्ग के लिए लाइसेंस दिया था।

लाइसेंस मिलने का काल 1618 ईo अथवा 1625 ईo को माना जाता है।

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1625

1693

1694
Sukjong Sillok (Annals of King Sukjong’s Reign)
सूक्जों सिल्लोक
(इतिहास वृत्तांत )

आन योंग-बोक का जापानियों द्वारा अपहरण

यह उल्लुंग्दो में मछली पकड़ने गए आन योंग-बोक और बाक अ-दून नाम के दो लोगों की ओया और मुराखावा परिवार के जापानी नाविकों के द्वारा अपहरण कर जापान ले जाने की घटना है।

इस घटना ने जोसन और जापान के बीच उल्लुंग्दो की संप्रभुता को लेकर एक नए विवाद 'उल्लुंग्दो विवाद' को जन्म दिया।

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1693

1694

1695
View of Ulleungdo, Original Source : Ulleung-gun Office
उल्लुंग्दो पैनोरमा
साभार(मूल स्रोत): उल्लुंग्दो जिला कार्यालय

उल्लुंग्दो सुठो(मुआयना) प्रथा फैसला

आन योंग-बोक के अपहरण की घटना के कारण हुए उल्लुंग्दो विवाद के बाद कोरियाई राजा ने सामछक छम्सा के (जोसन काल में ब्रिगेडियर का पद) जांग हान-सां को उल्लुंग्दो भेजकर उल्लुंग्दो की परिस्थिति का जायजा लिया।

उसके बाद प्रधानमंत्री नाम गु मान के सलाह पर हर दो साल में एक बार एक अधिकारी को भेज कर उल्लुंग्दो का मुआयना करने की प्रथा की शुरूआत हुई।

सुठो(मुआयना) : : किसी को खोजने या जानने के लिए जांच

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1694

1695

1696
The Tottori-han's Submission
दोत्थोरी प्रदेश का जवाब(प्रतिकृति) पत्र

जापान के दोत्थोरी प्रदेश का जवाब

जापानी सामंती सरकार ने उल्लुंग्दो के संप्रभुता में बारे में जानने के लिए दोत्थोरी प्रदेश से उल्लुंग्दो पर उसके अधिपत्य के बारे में प्रश्न(24 दिसंबर) किया।

इसके जवाब में दोत्थोरी प्रदेश ने यह स्पष्ट किया कि दखेशिमा(उल्लुंग्दो) और मस्सूशिमा(दोक्दो) पर उसका कोई अधिकार नहीं है(25 दिसंबर)। इस जवाब के साथ ही जापानी सामंती सरकार ने आधिकारिक रूप में स्वीकार किया कि उल्लुंग्दो और दोक्दो जापान का हिस्सा नहीं है।

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1695

1696

1696
Ban on Passage to Takeshima (Ulleungdo) <Replica>, Original Source : Dokdo Museum
दखेशिमा(उल्लुंग्दो) जलमार्ग प्रतिबन्ध(प्रतिकृति) साभार(मूल स्रोत): दोक्दो संग्रहालय

जनवरी, दखेशिमा(उल्लुंग्दो) जलमार्ग प्रतिबन्ध

जापानी सरकार ने दोत्थोरी प्रदेश के जवाब के द्वारा यह जाँच करने के बाद कि उल्लुंग्दो और दोक्दो जापान का हिस्सा नहीं है, जापानी नाविकों के उललंगदो(दखेशिमा) जलमार्ग में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया (28 जनवरी 1696)।

तदुपरांत जोसन सरकार को भेजे कूटनीतिक दस्तावेज के द्वारा आधिकारिक तौर पर स्वीकृति दी कि उल्लुंग्दो जोसन के अभिन्न अंग (1699) है ।

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1696

1696

1770
Genrokku kyu heishinen chosenbune chakugan ikkan no oboegaki
वल्लोक कुब्योंगजान्यन जोसन जुछाक आनईलग्वन जिगाक स

मई, आन योंग-बोक की जापान की समुद्र यात्रा

यह आन योंग-बोक के द्वारा उल्लुंग्दो के पास मछली पकड़ने आये जापानी नाविकों के जहाज को उल्लुंग्दो और दोक्दो से खदेड़ते हुए जापान तक ले जाने की घटना है।

『 वल्लोक कुब्योंगजान्यन जोसन जुछाक आनईलग्वन जिगाक स 』 (‘जोसन से एक जहाज के आने पर ज्ञापन) नामक एक ऐतिहासिक दस्तावेज में भी यह बात दर्ज है कि आन योंग-बोक ने ओखी द्वीप के जापानी अधिकारियों को यह स्पष्ट रूप से कहा था कि उल्लुंग्दो और दोक्दो जोसन(कोरिया) का भाग है।

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1696

1770

1870
Dong'guk Munheon Bigo (Reference Compilation of Documents on Korea)
डोंगगुक मुंहन बिगो
(कोरिया पर दस्तावेजों के संदर्भ संकलन)

『 डोंगगुक मुंहन बिगो』 『यजिगो』 (कोरिया पर दस्तावेजों के संदर्भ संकलन)

यह राजा यंगजो के आदेश पर तैयार किया गया एक सरकारी संकलन है जिसमें जोसन(कोरिया) की संस्कृति और संस्थाओं का इतिहास दर्ज है।

इसमें यह लिखा है कि "उसानदो और उल्लुंग्दो ये दो द्वीप दोनों मिलकर उसान प्रदेश कहलाते है। यजीजी के अनुसार उल्लुंग़ और उसान दोनों उसान प्रदेश का भाग है और उसान का जापानी नाम सोंदो है।"

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1770

1870

1877
Chōsenkoku Kōsai Simatsu Naitansho (A Confidential Inquiry into the Particulars of Korea’s Foreign Relations) <Replica>, Original Source : Dokdo Museum
जोसन गुक्ग्योजे सिमालनैथामस (प्रतिकृति)
साभार(मूल स्रोत): दोक्दो संग्रहालय

『 जोसन गुक्ग्योजे सिमालनैथामस』
(कोरिया के विदेशी संबंधों के ब्यौरे में एक गोपनीय जांच)

यह एक निरीक्षण दल, हाकुबो सादा भी जिसके एक सदस्य थे, के द्वारा 1870 में जापान के विदेश मामलों के मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट है ।

"कोरिया के विदेशी संबंधों के ब्यौरे में एक गोपनीय जांच" के नाम की इस रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि 'ताकेशीमा(उल्लुंग्दो) और मात्सुशीमा(दोक्दो)किन परिस्थितियों में जोसन(कोरिया) का हिस्सा बने। और यह इस बात को साबित करती है कि जापान के विदेशी मामलों के मंत्रालय भी स्पष्ट रूप से दोक्दो को जोसन(कोरियाई) क्षेत्र के रूप में स्वीकारती है।

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1870

1877

1900
The Dajōkan Order
थैजंगग्वान आदेश

『 थैजंगग्वान आदेश』

यह मार्च 1877 में जापान के तत्कालीन सर्वोच्च प्रशासनिक निकाय 'थैजंगग्वान' के द्वारा जापानी गृह मंत्रालय को दिया गया एक आदेश है जिसमें इस बात की पुष्टि की गयी है कि दोक्दो और उल्लुंग्दो द्वीप जापान का हिस्सा नहीं हैं।

जोसन(कोरिया) की सरकार के साथ विचार विमर्श के परिणामस्वरूप (उल्लुंग्दो विवाद के सन्दर्भ में) थैजंगग्वान ने यह निष्कर्ष निकाला की, उल्लुंग्दो और दोक्दो जापान का हिस्सा नहीं हैं, और उसने जापान के गृह मंत्रालय को यह इस तरह का आदेश दिया गया कि "इस बात का ध्यान रखा जाए कि दखेशिमा और एक अन्य द्वीप(दोक्दो) का हमारे देश(जापान) से कोई संबंध नहीं है। "

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1877

1900

1905
Imperial Decree No. 41
शाही धारा संख्या 41

शाही धारा संख्या 41

यह सम्राट गोजों द्वारा घोषित एक फरमान है जिसके अंतर्गत उल्लुंग्दो का नाम बदल के उल्दो करने और निरीक्षक के पद को प्रोन्नत कर के मजिस्ट्रेट बनाने वाले कानून की घोषणा की गयी ।

इस फरमान के अनुच्छेद 2 के तहत स्पष्ट रूप से पूरे उल्लुंग्दो, जुकदो और सक्दो(दोक्दो) को उल्दो प्रांत के अधिकार क्षेत्र में रखे जाने की व्यवस्था की गई।

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1900

1905

1906
Shimane Prefecture Public Notice No. 40, Original Source : Dokdo Museum
शिमाने प्रान्त सार्वजनिक नोटिस संख्या- 40
साभार(मूल स्रोत): दोक्दो संग्रहालय

शिमाने प्रान्त सार्वजनिक नोटिस संख्या- 40

यह दोक्दो के जापानी क्षेत्र में समावेश की घोषणा का एक क्षेत्रीय सुचना है।

जापान मंचूरिया और कोरियाई प्रायद्वीप में अपने हितों के कारण 1904 के बाद से हीं रूस के साथ युद्ध की स्थिति में था। और दोंग्है (पूर्वी समुद्र) में रूस के साथ सम्भाव्य समुद्री संघर्ष की स्थिति में अपनी सैन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए उसे इस द्वीप की जरूरत थी, इसलिए 1905 में जापान ने इस सुचना के जरिए यह दावा करते हुए कि दोक्दो एक अस्वामिक भूमि है, इसे शिमाने प्रांत में शामिल करने का प्रयास किया था।

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1905

1906

1946
Special Report and Directive No.3
एक्स्ट्रा रिपोर्ट और निर्देशक संख्या 3

मार्च, उल्दो काउंटी मजिस्ट्रेट शिम हंगथैक की रिपोर्ट

यह उल्दो प्रान्त के तत्कालीन मजिस्ट्रेट शिम हंग-थैक के द्वारा, शिमाने प्रान्त के अधिकारियों और लोगों द्वारा गठित जापानी जाँचदल के उल्लुंग्दो की यात्रा के दौरान, जापान के द्वारा दोक्दो को जापान का हिस्से के रूप में स्वीकारने की बात सुनकर, अगले हीं दिन गांगवन प्रांत के कार्यवाहक गवर्नर और कोरियाई गृह मंत्रालय(वर्तमान में सुरक्षा और सार्वजनिक प्रशासन मंत्रालय) को दिया एक रिपोर्ट है।

इस रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है कि 'दोक्दो जो कि इस काउंटी के अधिकार क्षेत्र में है और यह बात दोक्दो के उल्दो प्रांत के अधिकार क्षेत्र में होने की पुष्टि करता है।

मई, उईजंगबू उप-प्रधानमंत्री निर्देशक संख्या 3

यह कोरियाई साम्राज्य की सर्वोच्च प्रशासनिक संगठन उईजंगबू द्वारा जारी एक निर्देश है जो कि जापान द्वारा दोक्दो को निगमित क्षेत्र बनाने की बात को ख़ारिज करती है।

उईजंगबू को गांगवन प्रान्त के कार्यवाहक गवर्नर से दोक्दो के जापान में समावेश की जानकारी जैसे ही मिली, उईजंगबू के उप-प्रधानमंत्री ने जापान के दोक्दो के समावेश को नकारते हुए यह निर्देशक जारी किया।

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1906

1946

1951
Map related to SCAPIN-677, Original Source : Dokdo Museum
SCAPIN-677 से सम्बंधित मानचित्र
साभार(मूल स्रोत): दोक्दो संग्रहालय

29 जनवरी, 9 मित्र देशों की शक्तियों के सुप्रीम कमांडर का ज्ञापन संख्या(SCAPIN)-677

यह द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद जापान के प्रशासनिक दायरे से दोक्दो को दूर रखने से सम्बंधित एक ज्ञापन है।

मित्र देशों की शक्तियों के सुप्रीम कमांडर ने इस बात का निर्धारण किया "उल्लुंग्दो, रिआंगखुरुआम(दोक्दो) और जेजूदो जापान के क्षेत्र से बाहर हैं।

22 जून, मित्र देशों की शक्तियों के सुप्रीम कमांडर का ज्ञापन संख्या (SCAPIN)-1033

यह मित्र देशों की शक्तियों के सुप्रीम कमांडर का ज्ञापन संख्या 677 के बाद का ज्ञापन है जिसमें जापानी जहाजों या नागरिकों को दोक्दो के 12 समुद्री मील के भीतर आने से निषेध किया गया है।

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1946

1951
Conclusion of the Treaty of Peace with Japan, Original Source : US National Archives and Records Administration (NARA)
सैन फ्रांसिस्को शांति समझौता
साभार(मूल स्रोत): अमेरिकी राष्ट्रीय अभिलेखागार और रिकॉर्ड्स प्रशासन

सैन फ्रांसिस्को शांति समझौता

सैन फ्रांसिस्को शांति समझौता द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद मित्र राष्ट्रों और जापान के बीच हुई संधि है।

इस संधि के अनुच्छेद 2 (क) में 'जापान के द्वारा दक्षिण कोरिया की स्वतंत्रता को मान्यता देते हुए जेजूदो, कमुनदो और उल्लुंग्दो सहित सम्पूर्ण कोरिया पर अपने सभी अधिकार, सभी दावे को छोड़ने " की बात है।

और केवल इस तथ्य के कारण कि कोरिया के लगभग 3000 द्वीपों के बीच ऊपरलिखित तीन द्वीपों के अलावा दोक्दो का नाम स्पष्ट रूप से नहीं है, दोक्दो को कोरिया के हिस्से के रूप में नहीं स्वीकारने की बात को तर्कसंगत नहीं माना जा सकता है।

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