2. सिर्फ तीन हफ्ते पहले जापान के संसद भवन में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने घोषित किया कि उनकी सरकार पिछले सरकार के ऐतिहासिक नज़रिए को आत्मसात करेगी/अपनायेगी l इस घोषणा के बावजूद जापानी सरकार को ये ध्यान रखना चाहिए की क्या उसे अपने देश के प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को जापान के साम्राज्यवादी आक्रामकता के इतिहास के तोड़े मरोड़े हुए और पर्दा डाले हुए रूप को पढ़ाना चाहिए ? इस तरह जापान सिर्फ अपने वादे को तोड़ने की हीं गलती नहीं कर रहा है बल्कि अपने आने वाली पीढ़ी को अंतराष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग भी कर रहा है l
3. कोरिया गणराज्य की सरकार साफ तौर से यह चेतावनी देती है कि यदि जापानी सरकार अपने विद्यालय के टेक्स्टबुक स्वीकार्यता के माध्यम से दोक्दो के ऊपर उकसाने की प्रवृति को जारी रखा तो दोनों देशों के संबंधों में कोई भी प्रगति देखना बहुत दूर की बात होगी l