1904 के बाद से हीं मंचूरिया और कोरियाई प्रायद्वीप में अपने हितों के चलते जापान और रूस के बीच में युद्ध की स्थिति बनी हुई थी। 1905 में जापान के द्वारा, शिमाने प्रान्त के सार्वजनिक नोटिस संख्या 40 के माध्यम से, दोक्दो को अपने क्षेत्र में शामिल करने का प्रयास दोंग्है (पूर्वी समुद्र) में रूस के साथ संभव समुद्री संघर्ष की स्थिति में अपनी सैन्य जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से किया गया था।
इससे संबंधित तत्कालीन जापानी ऐतिहासिक दस्तावेज़ में भी यह बात दर्ज है कि विदेशी मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी की इस राय पर कि, "दोक्दो में एक गुम्मट के निर्माण और रेडियो प्रसारण या पनडुब्बी टेलीग्राफ संचार प्रणाली की स्थापना करने से दुश्मन के जहाजों की निगरानी के मामले में हमें एक फायदा होगा।", के आधार पर डोक्डो के जापानी क्षेत्र में समावेश की प्रक्रिया को अपनाया गया था। साथ ही दोक्दो को जापान में विलय की सिफारिश करने वाले नाखाई योजाबुरो ने भी दोक्दो को शुरू में कोरियाई भूभाग के रूप में स्वीकार किया था और जापानी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने भी कहा था कि , " घास का एक तिनका भी नहीं उगने वाले बंजर चट्टान(दोक्दो) जो की कोरियाई क्षेत्र है को हड़प कर, जापान के द्वारा कोरिया को निगल लेने लेने की महत्वाकांक्षा का संदेह देने में जो हानि है वो लाभ से ज्यादा महत्वपूर्ण है।", ये कहना जापानी सरकार द्वारा दोक्दो को कोरियाई क्षेत्र के रूप में स्वीकारने की बात को साबित करता है।
फरवरी 1904 में जापान ने रूस-जापान युद्ध में कोरियाई क्षेत्र का असीमित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कोरिया से 'कोरिया-जापान प्रोटोकॉल' पर हस्ताक्षर करवाने की कोशिश की थी और अगस्त 1904 में जापान ने 'प्रथम कोरिया-जापान समझौता' के माध्यम से कोरियाई सरकार के सलाहकार के रूप में जापानी और गैर-कोरियाई नागरिकों को नियुक्त करने के लिए कोरियाई सरकार को विवश करने आदि कदमों के द्वारा जापान कोरिया को चरणबद्ध तरीके से अपने अधिकार में लेने की योजना को अंजाम दे रहा था और दोक्दो जापान के इस योजना का पहला शिकार था।
इस प्रकार शिमाने प्रान्त की सार्वजनिक नोटिस संख्या 40 कोरिया की क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने के लिए जापान की व्यवस्थित योजना का हिस्सा था। अपने क्षेत्र में दोक्दो को शामिल करने का जापान का प्रयास दोक्दो पर कोरिया की निर्विवाद संप्रभुता, जिसे कि एक लंबी अवधि में स्थापित किया गया था, को अतिक्रमण करने वाला अवैध कृत्य है। इसलिए शिमाने प्रान्त की सार्वजनिक नोटिस संख्या 40 अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार अमान्य है।