Korean Islands, Korean territory, Dokdo, Tokdo | MOFA Republic of Korea

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दोक्दो से संबंधित प्रश्नोत्तरी

दोक्दो के सम्बन्ध में आन योंग बोक के कार्यों का क्या महत्व है ?

जोसन काल के राजा सुकजों के शासनकाल के दौरान, आन योंग-बोक नामक कोरियाई नागरिक ने दो बार जापान की यात्रा की, जिनमे से एक बार उसे जापानी नाविकों द्वारा अपहरण कर जापान ले जाया गया था। सन 1693 में आन योंग-बोक की अपहरण की इस घटना ने कोरिया और जापान के बीच उल्लुंग्दो की संप्रभुता को लेकर एक नए विवाद 'उल्लुंग्दो विवाद‘ को जन्म दिया। इस विवाद के दौरान कोरिया और जापान के बीच के राजनयिक वार्ताओं से उल्लुंग्दो और दोक्दो के क्षेत्राधिकार की स्थिति स्पष्ट हो जाने के कारण यह एक महत्वपूर्ण घटना है।

1696 में आन योंग-बोक की जापान की दूसरी यात्रा के बारे में, आन योंग-बोक के बयान के रिकार्ड 『सुकजों सिल्लोक』 (राजा सुकजोंग के शासनकाल के इतिहास) में पाया जा सकता है, इसमें यह दर्ज है कि उल्लुंग्दो में आन योंग बोक का सामना जापानी मछुआरों के साथ हुआ तो उसने यह कहा कि 'सोंदो जासानदो है और कोरिया का भाग है।' साथ ही यह भी दर्ज है कि कोरियाई भूभाग उल्लुंग्दो और दोक्दो पर जापान के अधिक्रमण को लेकर जापान जाकर अपना विरोध दर्ज कराया था।

आन योंग-बोक के जापान जाने की घटना कोरियाई दस्तावेजों के अलावा 『जुकदोगिसा』(ताकेशिमा का वर्णन)', 『जुकदोदोहैयूरैगीबालसोगोंग』(ताकेशिमा की यात्रा के रिकॉर्ड के अंश की प्रतिलिपि)', 『इन्बूयन्फो』 (इनाबा प्रांत का कालक्रम)', 『जुकदोगो』 (ताकेशिमा पर टिप्पणी', आदि जापानी दस्तावेजों में भी दर्ज है।

विशेष रूप से हाल में हीं (2005 में) जापान में मिले एक उल्लेखनीय ऐतिहासिक दस्तावेज़ 『वल्लोकगुब्योंगजान्यन जोसनजुछानआनइलग्वनजिकाकस』 (सन 1696 में आन योंगबोक के ओखी द्वीप पर आगमन के वक्त ओखी द्वीप के अधिकारी द्वारा आन योंग-बोक से पूछ ताछ करने के बाद तैयार की गई रिपोर्ट)' भी इस बात की पुष्टि करती है कि आन योंग-बोक ने उल्लुंग्दो और दोक्दो को कोरिया के गंवन प्रान्त का भाग बताया था।

वल्लोकगुब्योंगजान्यन जोसनजुछानआनइलग्वनजिकाकस

Genroku Kyu Heishinen Chosenbune Chakugan Ikkan No Oboegaki

अनुवाद

इस द्वीप(प्रान्त) के अंतर्गत ताकेशिमा(उल्लुंग्दो) और मस्सुशिमा(दोक्दो) आते हैं।


मूल लेख

此道中 竹嶋松嶋有之

जोसन (कोरियाई) सरकार ने उल्लुंग्दो के नागरिकों को कोरिया की मुख्य भूमि पर बुलाकर रहने के प्रबंध करने के लिए कुछ अधिकारियों को उल्लुंग्दो भेजा। इसे 'प्रत्यार्पण नीति' कहा जाता है।

जोसन (कोरियाई) सरकार ने यह नीति समुद्री डाकुओं के उल्लुंग्दो पर हमले के डर से अपनाया था न कि उल्लुंग्दो पर अ पने संप्रभुता को छोड़ने के लिए।

जोसन (कोरियाई) सरकार द्वारा शुरू से हीं अधिकारियों को उल्लुंग्दो भेजना यह साबित करता है कि जोसन सरकार ने काफी पहले से उल्लुंग्दो पर अपने अधिकार को बनाये रखा था। जोसन सरकार प्रारंभ से हीं सुनसिम ग्योंगछाग्वान(विशेष सरकारी अधिकारी) को उल्लुंग्दो भेज रही थी। राजा सुकजोंग के शासनकाल के दौरान, सरकारी गश्ती और निरीक्षण प्रथा(सुथो प्रथा) लागू की गई और 1895 तक इस प्रथा के बंद होने तक सरकारी अधिकारियों को नियमित रूप से उल्लुंग्दो और अन्य ऐसे स्थानों पर भेजा गया।

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