> दोक्दो के ऊपर कोरिया की स्थति > सरकार का बयान
2. दोक्दो पर जो की कोरियाई भूभाग का पहला भाग था जो जापान के साम्राज्यवादी एवं उग्र औपनिवेशवाद का शिकार बना था, जापान बार बार अपना गलत दावा करना और अपने अगले पीढ़ी को उस दावे के बारे में बताना साफ तौर से यह दर्शाता है कि जापान अभी भी इतिहास के विकृत रूप को और अपने साम्राज्यवादी अतीत को नहीं छोड़ पाया है l इस तरह के कदम उठाकर जापान अपने हीं स्थिति को स्पस्ट कर रहा है कि वह अपने आपको इतिहास से अलग कर लिया है और द्वितीय विश्वयुद्ध में ही हार का अनुकरण करते हुए एक अलग रास्ता अपना लिया है l
3. जापान का यह छद्म रूप कोरिया को जापान सरकार द्वारा बनाये गए शांति के प्रति अतिसक्रिय निति के पीछे छुपे हुए मानसिकता को समझने के लिए मजबूर करती है l कोरिया गणराज्य की सरकार जापन के ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है और पूछती है कि जो देश अपने पड़ोसी देश के साथ लगातार संघर्ष पैदा करता है और उसके क्षेत्र में अशांति और अस्थिरता पैदा करता है वह अपने शांति के प्रति अतिसक्रिय निति के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता कैसे स्थापित कर सकता है ?
4. यदि जापान वास्तव में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शान्ति में योगदान देना चाहता तो अपने आने वाली पीढ़ी को इतिहास का गलत जानकारी देते हुए अपने पड़ोसी देश के लोगों के बीचदुश्मनी और संघर्ष के बिज बोने से बाज आता l
5. जापानी नेताओं को इस तथ्य का अहसास होना चाहिए की जो अपने अतीत को भूल जाता है वो आगे अपने भविष्य को देखने लायक नहीं होता l