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दोक्दो के बारे में हमारा मौलिक दृष्टिकोण

Dokdo, Beautiful Island of Korea

दोक्दो पर प्रश्न और जवाब

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  • दोक्दो से सम्बंधित 15 सवाल और जवाब
  • निम्नलिखित 15 सवालों और जवाबों के जरिए दोक्दो ऐतिहासिक, भौगोलिक और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अंतर्गत कोरिया का अभिन्न अंग क्यों है इसे स्पष्ट और सटीक रूप में समझा जा सकता है।
1प्राचीन कोरियाई सरकारी दस्तावेज(संकलन) दोक्दो का वर्णन किस प्रकार से करते हैं ?
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कोरिया के कई सारे प्राचीन सरकारी दस्तावेजों में दोक्दो के बारें उल्लेख है जो कि इस तथ्य की पुष्टि करता है कि कोरिया प्राचीन काल से हीं दोक्दो को कोरियाई भूभाग की तरह मानते हुए शासन करता आया है।

दोक्दो से सम्बंधित प्राचीन सरकारी दस्तावेजों में से कुछ उल्लेखनीय दस्तावेज निम्नांकित हैं।

Sejong Sillok Jiriji (1454)

『सेजों सिल्लोक』 『जिरीजी』 (सन 1454)
(भूगोल खंड, सेजोंग इतिहास वृत्तांत)

अनुवाद
उसान(दोक्दो) और मुरुंग(उल्लुंग्दो) दो द्वीप ह्यन(प्रान्त) के पूर्वी दिशा में समुद्र के बीचोंबीच स्थित हैं। ये दो द्वीप एक दूसरे से ज्यादा दूर नहीं है और
अगर मौसम साफ हो तो आसानी से दिखते हैं। और सिल्ला काल में ये उसान प्रदेश अथवा उल्लुंग्दो के नाम से जाने जाते थे।

मूल लेख
于山武陵二島在縣正東海中
二島相去不遠 風日淸明 則可望見 新羅時 稱于山國 一云鬱陵島
Sinjeung Dongguk Yeoji Seungnam

『सिनजंग दोंगुक यजीसुंगराम』 (सन 1531)
(कोरियाई भूगोल सर्वेक्षण के संशोधित और संवर्धित संस्करण)

अनुवाद
उसानदो• उल्लुंग्दो
उसानदो(उसान प्रदेश) और उल्लुंग्दो मुरुंग और उरुंग के नाम से भी जाने जाते हैं । और दोनों द्वीप ह्यन(प्रान्त) के पूर्वी दिशा में समुद्र के बीच में स्थित हैं।

मूल लेख
于山島 鬱陵島
一云武陵 一云羽陵 二島在縣正東海中
Dongguk Munheon Bigo (1770)

『दोंगुक मुंहन बीगो』 (सन 1770)
(कोरिया पर दस्तावेजों के संदर्भ संकलन)

अनुवाद
उसानदो• उल्लुंग्दो
उसानदो और उल्लुंग्दो दो द्वीपों में एक उसान है। यजिजी(कोरियाई भूगोल) के अनुसार उल्लुंग और उसान दोनों उसानगुक के भाग हैं और उसान को जापान में सोंदो कहा जाता है।

मूल लेख
于山島 鬱陵島..
二島一卽于山..
輿地志云 鬱陵․于山皆于山國地 于山則倭所謂松島也
Mangi Yoram (1808)

『मानगी योराम』 (सन 1808)
(राजा के लिए राजकीय मामलों की पुस्तिका)

अनुवाद
उल्लुंग्दो उल्जिन के पूर्व में समुद्र के बीचोंबीच स्थित है। यजिजी(कोरियाई भूगोल) के अनुसार उल्लुंग और उसान दोनों उसानगुक के भाग हैं और उसान को जापान में सोंदो कहा जाता है।

मूल लेख
鬱陵島在蔚珍正東海中..
輿地志云 鬱陵于山皆于山國地 于山則倭所謂松島也
Jeungbo Munheon Bigo (1908)

『जुंगबो मुन्हन बिगो』 (सन 1908))
(कोरिया पर दस्तावेजों की संशोधित और संवर्धित संदर्भ संकलन)

अनुवाद
उसानदो• उल्लुंग्दो उसानदो(दोक्दो) और उल्लुंग्दो दो अलग अलग द्वीप हैं। लेकिन उसान के दो द्वीप होते हैं । ये अब उल्दोगुन हैं। (अतिरिक्त जानकारी)

मूल लेख
于山島鬱陵島..
二島一卽芋山 續今爲鬱島郡
2दोक्दो से सम्बंधित प्राचीनतम जापानी दस्तावेजों में से एक ' 『उन्जु सीछंग हाब्की』(ओखी प्रान्त से सम्बंधित टिप्पणियों का संग्रह) दोक्दो को किस प्रकार सेदर्शाताहै?
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दोक्दो के बारे में उल्लेख करने वाले प्राचीनतम जापानी ग्रंथों में से एक 『उन्जु सीछंग हाब्की』(1667), जो कि इजुमो (आधुनिक शिमाने प्रान्त) प्रान्त के अधिकारी साईथो दोयोनोबू के द्वारा लिखी गयी है, में दोक्दो के बारे में इस प्रकार वर्णन किया गया है।

उन्जु सीछंग हाब्की (ओखी प्रान्त से सम्बंधित टिप्पणियों का संग्रह)

Inshu Shicho Gakki
अनुवाद
इन दो निर्जन द्वीपों(उल्लुंग्दो और दोक्दो) से कोरिया को खना उन्शु(आधुनिक शिमाने प्रान्त का पूर्वी भाग) से ओन्शु(ओखी द्वीप) को देखने के जैसा है। इसलिए इस राज्य(ओखी द्वीप) को जापान की पश्चिमोत्तर सीमा के रूप में चिन्हित किया जा सकता है। मूल लेख
此二島 無人之地 見高麗 如雲州望隱州 然則日本乾地 以此州爲限矣

इस प्रकार के वर्णन से यह साबित होता है कि ओखी द्वीप जापान की पश्चिमोत्तर सीमा है और दोक्दो को जापान के क्षेत्र के दायरे में शामिल नहीं किया गया था।

3जापान के प्राचीन मानचित्रों में दोक्दो को किस तरह से दर्शाया गया है ?
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जापानी सरकार के आदेश से एदो काल में मानचित्र निर्माता इनो थादाथागा के द्वारा तैयार किया हुआ 『दैइल्बोन योनहै यजिजनदो(जापान के तटीय क्षेत्र का मानचित्र)』 (1821) तथा कई और जापानी सरकारी मानचित्रों में दोक्दो को नहीं दिखाया गया है। दोक्दो का जापानी सरकार द्वारा प्रमाणित इन मानचित्रों से गायब होना जापानी सरकार द्वारा दोक्दो को गैर जापानी क्षेत्र के रूप में स्वीकारोक्ति को साबित करता है।

The एदो काल के कन्फ़्यूशी विद्वान नागाखुबो सेखिसुई के द्वारा तैयार किया हुआ ' 『जंग इल्बोन यजिरो जंगजनदो(जापानी भूमि और सड़कों के संशोधित नक्शा)』1779, प्रथम संस्करण), जिसे जापानी सरकार द्वारा दोक्दो पर अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता साबित करने के प्रयास के रूप में प्रस्तुत किया गया है, कि उल्लुंग्दो और दोक्दो को जापानी क्षेत्र के रूप में नहीं दिखाता है।

गैजंग इल्बोन यजिरो जंगजनदो (जापानी भूमि और सड़कों के संशोधित नक्शा)'(1791, द्वितीय संस्करण)

Kaisei Nihon yochi Rotei Zenzu  (Second Edition, 1791)
  • अनुवाद
  • दखेशिमा(उल्लुंग्दो) उर्फ़ इसोदखेशिमा मिस्सुशिमा(दोक्दो) से कोरिया को देखना उन्शु(आधुनिक शिमाने प्रान्त का पूर्वी भाग) से ओन्शु(ओखी द्वीप) को देखने के जैसा है।
  • मूल लेख
  • 竹島 一云磯竹島
  • 松島
  • 見高麗猶雲州望隱州

इस मानचित्र में चित्रित दोक्दो और उल्लुंग्दो के बगल में 『उन्जु सीछंग हाब्की』में लिखित एक उद्धरण लिखा हुआ है, और 『उन्जु सीछंग हाब्की』पर आधारित यह मानचित्र यह दर्शाती है कि जापान की पश्चिमोत्तर सीमा ओखी द्वीप तक है।

सन 1779 में प्रकाशित मानचित्र के पहले संस्करण में और साथ ही बाद के आधिकारिक संस्करणों में उल्लुंग्दो और दोक्दो को कोरिया की तरह जापानी प्रदेशों से अलग बिना रंग के दिखाना और जापान की अक्षांशीय और देशान्तर लाइन से बाहर दिखाना, आदि ये साबित करते हैं कि उल्लुंग्दो और दोक्दो जापान का हिस्सा नहीं हैं।

4उल्लुंग्दो की संप्रभुता को लेकर कोरिया और जापान के बीच हुए क्षेत्रीय विवाद 'उल्लुंग्दो चैनज्ञे(विवाद)' के समय दोक्दो जापान का हिस्सा नहीं है इस तथ्य को स्वीकारने वाला 'दोत्थोरी प्रदेश की प्रतिक्रिया' क्या है ?
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जापानी मछुआरों के उल्लुंग्दो जलमार्ग को लेकर कोरिया और जापान के बीच एक कूटनीतिक विवाद 1693 में भड़क उठा(उल्लुंग्दो विवाद), 24 दिसंबर 1695 को, जापान की एदो सामंती सरकार ने यह जानने के लिए कि उल्लुंग्दो दोत्थोरी प्रदेश का हिस्सा है या नहीं और क्या कोई और द्वीप दोत्थोरी प्रदेश के अंतर्गत आता है या नहीं, एक सरकारी दस्तावेज़ को दोत्थोरी प्रदेश भेजा।

अनुवाद
1. इन्शु और हाखुशु(वर्त्तमान में दोत्थोरी प्रदेश के इनाबा और होखी) के अंतर्गत आने वाला दखेशिमा(उल्लुंग्दो) कब से दो प्रदेशों(इनाबा और होखी) के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने लगे ?
1. दखेशिमा(उल्लुंग्दो) के अलावा क्या कोई और द्वीप इन दो प्रदेशों(इनाबा और होखी) के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं ?

मूल लेख
一. 因州佰州え付候竹島は、いつの頃より兩國え附屬候哉..
一. 竹島の外兩國え附屬の島有之候哉

इसके अगले दिन 25 दिसम्बर को दोत्थोरी प्रदेश ने जापानी सामंती सरकार को या जवाब भेजते हुए कि "न तो दखेशिमा(उल्लुंग्दो) और मस्सूशिमा(दोक्दो) और न हैं उसके अलावा कोई और द्वीप इन दोनों प्रदेशों (इनाबा और होखी) में अंतर्गत आते हैं" साबित कर दिया कि उल्लुंग्दो और दोक्दो जापान (दोत्थोरी प्रदेश) का हिस्सा नहीं है।

अनुवाद
1. दखेशिमा(उल्लुंग्दो) इनाबा और होखी(वर्तमान में दोत्थोरी प्रदेश) के अंतर्गत नहीं आते हैं।
1. दखेशिमा(उल्लुंग्दो) और मस्सूशिमा(दोक्दो) और इनके अलावा भी कोई द्वीप इन दो प्रदेशों(इनाबा एंड होखी) में शामिल नहीं हैं।

मूल लेख
一. 竹島は因幡伯耆附屬にては無御座候...
一. 竹島松島其外兩國え附屬の島無御座候事

उल्लुंग्दो और दोक्दो के क्षेत्राधिकार संबंधी स्थिति की पुष्टि करने के बाद, जापानी सामंती सरकार ने 28 जनवरी 1696 को तथाकथित 'दखेशिमा(उल्लुंग्दो) जलमार्ग लाइसेंस' को निरस्त कर उल्लुंग्दो जलमार्ग पर प्रतिबन्ध लगा दिया ।

5दोक्दो के सम्बन्ध में आन योंग बोक के कार्यों का क्या महत्व है ?
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जोसन काल के राजा सुकजों के शासनकाल के दौरान, आन योंग-बोक नामक कोरियाई नागरिक ने दो बार जापान की यात्रा की, जिनमे से एक बार उसे जापानी नाविकों द्वारा अपहरण कर जापान ले जाया गया था। सन 1693 में आन योंग-बोक की अपहरण की इस घटना ने कोरिया और जापान के बीच उल्लुंग्दो की संप्रभुता को लेकर एक नए विवाद 'उल्लुंग्दो विवाद‘ को जन्म दिया। इस विवाद के दौरान कोरिया और जापान के बीच के राजनयिक वार्ताओं से उल्लुंग्दो और दोक्दो के क्षेत्राधिकार की स्थिति स्पष्ट हो जाने के कारण यह एक महत्वपूर्ण घटना है।

1696 में आन योंग-बोक की जापान की दूसरी यात्रा के बारे में, आन योंग-बोक के बयान के रिकार्ड 『सुकजों सिल्लोक』 (राजा सुकजोंग के शासनकाल के इतिहास) में पाया जा सकता है, इसमें यह दर्ज है कि उल्लुंग्दो में आन योंग बोक का सामना जापानी मछुआरों के साथ हुआ तो उसने यह कहा कि 'सोंदो जासानदो है और कोरिया का भाग है।' साथ ही यह भी दर्ज है कि कोरियाई भूभाग उल्लुंग्दो और दोक्दो पर जापान के अधिक्रमण को लेकर जापान जाकर अपना विरोध दर्ज कराया था।

आन योंग-बोक के जापान जाने की घटना कोरियाई दस्तावेजों के अलावा 『जुकदोगिसा』(ताकेशिमा का वर्णन)', 『जुकदोदोहैयूरैगीबालसोगोंग』(ताकेशिमा की यात्रा के रिकॉर्ड के अंश की प्रतिलिपि)', 『इन्बूयन्फो』 (इनाबा प्रांत का कालक्रम)', 『जुकदोगो』 (ताकेशिमा पर टिप्पणी', आदि जापानी दस्तावेजों में भी दर्ज है।

विशेष रूप से हाल में हीं (2005 में) जापान में मिले एक उल्लेखनीय ऐतिहासिक दस्तावेज़ 『वल्लोकगुब्योंगजान्यन जोसनजुछानआनइलग्वनजिकाकस』 (सन 1696 में आन योंगबोक के ओखी द्वीप पर आगमन के वक्त ओखी द्वीप के अधिकारी द्वारा आन योंग-बोक से पूछ ताछ करने के बाद तैयार की गई रिपोर्ट)' भी इस बात की पुष्टि करती है कि आन योंग-बोक ने उल्लुंग्दो और दोक्दो को कोरिया के गंवन प्रान्त का भाग बताया था।

वल्लोकगुब्योंगजान्यन जोसनजुछानआनइलग्वनजिकाकस

Genroku Kyu Heishinen Chosenbune Chakugan Ikkan No Oboegaki
  • Tअनुवाद
  • इस द्वीप(प्रान्त) के अंतर्गत ताकेशिमा(उल्लुंग्दो) और मस्सुशिमा(दोक्दो) आते हैं।
  • मूल लेख
  • 此道中 竹嶋松嶋有之
6जोसन(कोरियाई) सरकार द्वारा निर्धारित स्वदेश वापसी नीति क्या है ?
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जोसन (कोरियाई) सरकार ने उल्लुंग्दो के नागरिकों को कोरिया की मुख्य भूमि पर बुलाकर रहने के प्रबंध करने के लिए कुछ अधिकारियों को उल्लुंग्दो भेजा। इसे 'प्रत्यार्पण नीति' कहा जाता है।

जोसन (कोरियाई) सरकार ने यह नीति समुद्री डाकुओं के उल्लुंग्दो पर हमले के डर से अपनाया था न कि उल्लुंग्दो पर अपने संप्रभुता को छोड़ने के लिए।

जोसन (कोरियाई) सरकार द्वारा शुरू से हीं अधिकारियों को उल्लुंग्दो भेजना यह साबित करता है कि जोसन सरकार ने काफी पहले से उल्लुंग्दो पर अपने अधिकार को बनाये रखा था। जोसन सरकार प्रारंभ से हीं सुनसिम ग्योंगछाग्वान(विशेष सरकारी अधिकारी) को उल्लुंग्दो भेज रही थी। राजा सुकजोंग के शासनकाल के दौरान, सरकारी गश्ती और निरीक्षण प्रथा(सुथो प्रथा) लागू की गई और 1895 तक इस प्रथा के बंद होने तक सरकारी अधिकारियों को नियमित रूप से उल्लुंग्दो और अन्य ऐसे स्थानों पर भेजा गया।

7जापान की मेइजी सरकार द्वारा दोक्दो के जापान का हिस्सा नहीं होने के तथ्य की आधिकारिक तौर पर पुष्टि करने वाली 1877 की 『थैजंगग्वान आदेश』क्या है ?
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मेइजी काल में, जापानी गृह मंत्रालय ने, उल्लुंग्दो और दोक्दो को भूमि रजिस्ट्री परियोजना में शामिल किया जाये की नहीं, के सम्बन्ध में दोंग्है (पूर्वी समुद्र) में स्थित दखेशिमा(उल्लुंग्दो) और इल्दो(दोक्दो) के भूमि रजिस्ट्री से सम्बंधित जाँच प्रश्न' बनाकर तत्कालीन जापान की सर्वोच्च प्रशासनिक अंग 'थैजंगग्वान' को भेजा।

इस सम्बन्ध में थैजंगग्वान ने जापानी सरकार और जोसन सरकार के बीच हुए विचार विमर्श के परिणामस्वरूप (उल्लुंग्दो विवाद के सन्दर्भ में) यह निष्कर्ष निकाला की, उल्लुंग्दो और दोक्दो जापान का हिस्सा नहीं हैं, और उसने जापान के गृह मंत्रालय को यह इस तरह का आदेश दिया "इस बात का ध्यान रखा जाए ताकेशिमा और एक अन्य द्वीप(दोक्दो) का हमारे देश(जापान) से कोई संबंध नहीं है। इसे ' 『थैजंगग्वान आदेश』 कहा जाता है।

थैजंगग्वान आदेश/ गिजुक्दो याकदो (दखेशिमा का सरलीकृत नक्शा')

Dajokan Order of 1877 / Isotakeshima ryakuzu
अनुवाद
20 मार्च, मैजी सन 10
नरोखु के पाँचवे साल(1692) में कोरियाई नागरिकों के उल्लुंग्दो में आने के बाद, जापानी प्रांतीय सरकार(एदो शोगुनेट) और जोसन(कोरिया) सरकार के बीच राजनयिक वार्ताओं के पश्चात निकले इस निष्कर्ष को ध्यान में रखते हुए कि दखेशिमा और एक अन्य द्वीप(दोक्दो) हमारे देश(जापान) से कोई संबंध नहीं है, आपके जाँच के सम्बन्ध में हम निम्न परिणाम का प्रस्ताव करते हैं ।

आदेश
दखेशिमा और इसके अलावा एक अन्य द्वीप दोक्दो से सम्बंधित एक जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी है पर इस बात का ध्यान रखा जाये की हमारे देश (जापान) का इस केस से कोई लेना देना नहीं हैं।

मूल लेख
明治十年三月廿日
別紙内務省伺日本海内竹嶋外一嶋地籍編纂之件
右ハ元禄五年朝鮮人入嶋以来旧政府該国ト往復之末遂ニ本邦関係無之相聞候段申立候上ハ伺之趣御聞置左之通御指令相成可然哉此段相伺候也

御指令按
伺之趣竹島外一嶋之義本邦関係無之義ト可相心得事

ऊपरोक्त प्रश्नावली के साथ संलग्न 『गिजुक्दो याकदो』(दखेशिमा का सरलीकृत नक्शा) में दखेशिमा(उल्लुंग्दो) और मस्सुशिमा(दोक्दो) चित्रित है और यह भी स्पष्ट है कि 『थैजंगग्वान आदेश』 में उल्लेखित 'दखेशिमा(उल्लुंग्दो) के अलावा इल्दो' का 'इल्दो(एक दूसराद्वीप)' ही दोक्दो है।

『थैजंगग्वान आदेश』 के जरिए, 17 वीं सदी में एदो शोगुनेट(सरकार) और जोसन सरकार के बीच हुए उल्लुंग्दो विवाद के दौरान उल्लुंग्दो और दोक्दो की स्थिति स्पष्ट हो जाने की जापान सरकार की समझ को हम अच्छी तरह से जान सकते हैं।

『थैजंगग्वान आदेश』 के आने के कुछ साल पहले 1870 में सादा हाखुबो आदि जापान के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा जोसन(कोरिया) के निरीक्षण के पश्चात जापान के गृह मंत्रालय को सौपें गए रिपोर्ट ' 『 सन गुकजे सिमाल नैथाम स』(जोसन के साथ बातचीत के बाद की रिपोर्ट)' में भी दखेशिमा(उल्लुंग्दो) और मस्सुशिमा(दोक्दो) जोसन के अधिकार क्षेत्र में आने की बात का उल्लेख है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि तत्कालीन जापान सरकार इन दो द्वीपों को कोरियाई भूभाग के रूप में स्वीकार करती थी।

8सन 1900 में कोरियाई साम्राज्य द्वारा दोक्दो को उल्लुंग्दो के अधिकार क्षेत्र में निर्दिष्ट करने वाला 『शाही धारा संख्या -41』क्या है ?
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19 वीं शताब्दी के आखिर में जापानी लोगों के द्वारा उल्लुंग्दो में अनधिकृत तरीकों से पेड़ काटने जैसी कुछ समास्याएँ होने के कारण जहाँ एक और कोरियाई सरकार ने जापान सरकार से गुजारिश की कि वो इन लोगों को वहाँ से दूर करें, वहीँ दूसरी ओर उल्लुंग्दो के स्थानीय प्रशासन से सम्बंधित कानून को सख्त करने का फ़ैसला किया।

24 अक्टूबर 1900 को तत्कालीन कोरियाई सर्वोच्च प्रशासनिक संगठन उईजंगबु ने यह निश्चय किया की उल्लुंग्दो का नाम परिवर्तित कर उल्दो कर दिया जाये और इंस्पेक्टर(दोगाम) के पद को जिला न्यायाधीश(गुनसु) में पदोन्नत किया जाये। इस निर्णय को 25 अक्टूबर 1900 में सम्राट गोजोंग द्वारा अनुमोदित किया गया और 27 अक्टूबर 1900 को सरकार ने इसे सरकारी राजपत्र में 『शाही धारा संख्या 41』 के रूप में प्रकाशित किया ।

『शाही धारा संख्या 41』 के अनुच्छेद संख्या 2, यह स्पष्ट करता है कि उल्लुंग्दो के साथ-साथ जुकदो और सक्दो भी उलदो प्रांत के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत रखा जाएगा। और यह बात इस तथ्य की पुष्टि करता है कि दोक्दो उल्दो प्रान्त के अधिकार क्षेत्र में आता था।

शाही धारा संख्या 41

Imperial Edict No. 41
अनुवाद
(शाही धारा संख्या 41) उल्लुंग्दो के नाम को उल्दो में परिवर्तित करना और इंस्पेक्टर के पद को प्रांतीय न्यायाधीश में पदोन्नत करना।
अनुच्छेद संख्या 1. उल्लुंग्दो के नाम को उल्दो में बदल के गंवन-प्रान्त के अंतर्गत रखना, और इंस्पेक्टर के पद को प्रांतीय न्यायाधीश में पदोन्नत करना । प्रान्त के स्तर को स्तर-पाँच करना।
अनुच्छेद संख्या 2. थैहादोंग में प्रांतीय कार्यालय बनाना और उल्लुंग्दो के साथ-साथ जुकदो और सक्दो को भी उल्दो प्रांत के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत रखना।

मूल लेख
(勅令第四十一號) 鬱陵島를 鬱島로 改稱하고 島監을 郡守로 改正한
第一條 → 鬱陵島를 鬱島라 改稱하야 江原道에 附屬하고 島監을 郡守로 改正하야 官制中에 編入하
郡等은 五等으로 할
第二條 → 郡廳位寘난台霞洞으로 定하고 區域은 鬱陵全島와 竹島 · 石島랄 管轄할

इस प्रकार, इस ऐतिहासिक तथ्य को कि कोरियाई सरकार ने उल्लुंग्दो के एक भाग के रूप में दोक्दो पर अपने प्रभुत्व को बनाये रखा था, 『शाही धारा संख्या 41』में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है ।

9क्या जापान के द्वारा सन 1905 में जारी की गयी शिमाने प्रान्त नोटिस संख्या 40 की पृष्ठभूमि क्या थी और क्या इस नोटिस की अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत कानूनी वैधता हो सकती है?
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1904 के बाद से हीं मंचूरिया और कोरियाई प्रायद्वीप में अपने हितों के चलते जापान और रूस के बीच में युद्ध की स्थिति बनी हुई थी। 1905 में जापान के द्वारा, शिमाने प्रान्त के सार्वजनिक नोटिस संख्या 40 के माध्यम से, दोक्दो को अपने क्षेत्र में शामिल करने का प्रयास दोंग्है (पूर्वी समुद्र) में रूस के साथ संभव समुद्री संघर्ष की स्थिति में अपनी सैन्य जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से किया गया था।

इससे संबंधित तत्कालीन जापानी ऐतिहासिक दस्तावेज़ में भी यह बात दर्ज है कि विदेशी मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी की इस राय पर कि, "दोक्दो में एक गुम्मट के निर्माण और रेडियो प्रसारण या पनडुब्बी टेलीग्राफ संचार प्रणाली की स्थापना करने से दुश्मन के जहाजों की निगरानी के मामले में हमें एक फायदा होगा।", के आधार पर डोक्डो के जापानी क्षेत्र में समावेश की प्रक्रिया को अपनाया गया था। साथ ही दोक्दो को जापान में विलय की सिफारिश करने वाले नाखाई योजाबुरो ने भी दोक्दो को शुरू में कोरियाई भूभाग के रूप में स्वीकार किया था और जापानी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने भी कहा था कि , " घास का एक तिनका भी नहीं उगने वाले बंजर चट्टान(दोक्दो) जो की कोरियाई क्षेत्र है को हड़प कर, जापान के द्वारा कोरिया को निगल लेने लेने की महत्वाकांक्षा का संदेह देने में जो हानि है वो लाभ से ज्यादा महत्वपूर्ण है।", ये कहना जापानी सरकार द्वारा दोक्दो को कोरियाई क्षेत्र के रूप में स्वीकारने की बात को साबित करता है।

फरवरी 1904 में जापान ने रूस-जापान युद्ध में कोरियाई क्षेत्र का असीमित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कोरिया से 'कोरिया-जापान प्रोटोकॉल' पर हस्ताक्षर करवाने की कोशिश की थी और अगस्त 1904 में जापान ने 'प्रथम कोरिया-जापान समझौता' के माध्यम से कोरियाई सरकार के सलाहकार के रूप में जापानी और गैर-कोरियाई नागरिकों को नियुक्त करने के लिए कोरियाई सरकार को विवश करने आदि कदमों के द्वारा जापान कोरिया को चरणबद्ध तरीके से अपने अधिकार में लेने की योजना को अंजाम दे रहा था और दोक्दो जापान के इस योजना का पहला शिकार था।

इस प्रकार शिमाने प्रान्त की सार्वजनिक नोटिस संख्या 40 कोरिया की क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने के लिए जापान की व्यवस्थित योजना का हिस्सा था। अपने क्षेत्र में दोक्दो को शामिल करने का जापान का प्रयास दोक्दो पर कोरिया की निर्विवाद संप्रभुता, जिसे कि एक लंबी अवधि में स्थापित किया गया था, को अतिक्रमण करने वाला अवैध कृत्य है। इसलिए शिमाने प्रान्त की सार्वजनिक नोटिस संख्या 40 अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार अमान्य है।

10सन 1906 में उल्दो प्रान्त के तत्कालीन मजिस्ट्रेट शिम हंग-थैक के द्वारा दोक्दो के संबंध में दिया गया रिपोर्ट क्या है ?
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28 मार्च 1906 को उल्दो प्रान्त के तत्कालीन मजिस्ट्रेट शिम हंग-थैक ने, शिमाने प्रान्त के अधिकारियों और लोगों द्वारा गठित जापानी जाँचदल के उल्लुंग्दो की यात्रा के दौरान, जापान के द्वारा दोक्दो को जापान का हिस्से के रूप में स्वीकारने की बात सुनने के बाद, अगले हीं दिन गांगवन प्रांत के कार्यवाहक गवर्नर और कोरियाई गृह मंत्रालय(वर्तमान में सुरक्षा और सार्वजनिक प्रशासन मंत्रालय) को इस बात की सुचना दी।

मजिस्ट्रेट शिम हंग-थैक से इस बात की जानकारी मिलने के बाद, गांगवन प्रांत के कार्यवाहक गवर्नर और छुनछन प्रान्त के मजिस्ट्रेट ली म्यंग-रै ने 29 अप्रैल 1906 को उईजंगबू(कोरियाई साम्राज्य की सर्वोच्च प्रशासनिक संगठन) को इसकी सुचना दी।

विशेष रिपोर्ट

Special Report
अनुवाद
उल्दो प्रान्त के तत्कालीन मजिस्ट्रेट शिम हंग-थैक ने मुझे(गांगवन प्रांत के कार्यवाहक गवर्नर) निम्नानुसार सूचित किया है कि दोक्दो, इस प्रान्त(उल्दो प्रान्त) के अधिकार क्षेत्र में आता है और यहाँ से लगभग 100 री (माप की पुरानी कोरियाई इकाई) दूर समुद्र में स्थित है, इस महीने के चौथे दिन(28 मार्च) सुबह लगभग 7-9 बजे के बीच उल्दो प्रान्त के दोदोंगपो(दोदोंग बंदरगाह) पर एक जहाज ने लंगर डाला और जापानी सरकार के अधिकारियों के एक समूह उस जहाज से निकल काउंटी कार्यालय के पास आये और कहा कि, "दोक्दो अब जापानी क्षेत्र बन गया है, इसलिए हम द्वीपों का निरीक्षण करने आए हैं।" उन्होंने पहले घरों की संख्या, जनसंख्या, भूमि क्षेत्र और कृषि उपज के बारे में पूछताछ की और फिर प्रान्त-कार्यालय के कर्मचारियों की संख्या और बजट के बारे में पूछा, ऐसा लग रहा था कि वे इस द्वीप की एक सामान्य सर्वेक्षण कर रहे थे और सूचना दर्ज करने के बाद वे चले गए। इस बात की आशा करते हुए कि आप इस घटना के बारे में विचार करेंगे, आपके विचारार्थ हेतु इस घटना की सुचना आपको देता हूँ।

मूल लेख
欝島郡守 沈興澤報告書內開에 本郡所屬獨島가 在於外洋百餘里 外 이삽더니 本月 初四日 辰時量에 輪船一雙이 來泊于郡內道洞浦 而日本官人 一行에 到于官舍하야 自云 獨島가 今爲日本領地 故로 視察次 來到이다 이온바... 先問戶總 ∙ 人口 ∙ 土地 ∙ 生産 多少하고 且問 人員 及經費 幾許 諸般事務을 以調査樣으로 錄去이압기 玆報告하오니 照亮하시믈 伏望等 因으로 准此 報告하오니 照亮하시믈 伏望

इस संबंध में, इसी साल 20 मई को कोरियाई साम्राज्य की सर्वोच्च प्रशासनिक संगठन उईजंगबू ने निम्नलिखित निर्देश जारी किया । (『निर्देश संख्या-3』)

निर्देश संख्या 3

Directive No.3
अनुवाद
प्रस्तुत रिपोर्ट को पढ़ा गया है, दोक्दो के जापान का हिस्सा हो जाने की बात का कोई सबूत नहीं है, इसलिये द्वीप की स्थिति और जापानियों के बरताव और गतिविधियों की फिर से छानबीन करके अद्यतन रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाए।

मूल लेख
來報난 閱悉이고 獨島領地之說은 全屬無根하니 該島 形便과 日人 如何 行動을 更爲査報할

इसके जरिए ये पता चलता है कि 1900 में जारी किए गए 『शाही धारा संख्या 41』 के अनुसार उलदो प्रांत के न्यायाधीश ने 1906 तक दोक्दो पर शासन करना जारी रखा।

11द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद मित्र राष्ट्रों के जापान के क्षेत्र के सम्बन्ध में बुनियादी नीतियों का निर्धारण करने वाली 1943 की काइरो घोषणा की शर्तें क्या हैं?
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द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद जापान के क्षेत्रीय सीमा पर संयुक्त शक्ति की स्थति को दर्शाया है, काइरो के उदघोषण में (1 दिसम्बर 1943), ऐसा कहा जाता है कि जापान उन दूसरे क्षेत्रों से भी बाहर कर दिया जाएगा जिसे जापान ने सख्ती और लालच से अपना रखा है।

काइरो घोषणा का अंश भी कोरिया की आजादी की पुष्टि करता है जो कुछ इस तरह है: “तीन महान शक्तियाँ, कोरिया की दासता के प्रति जागरूक कोरियाई लोग कृतसंकल्प है कि कुछ समय में कोरिया आज़ाद और स्वतंत्र हो जाएगा।

काइरो के उदघोषण

Japan will also be expelled from all other territories which she has taken by violence and greed.
The aforesaid three great powers, mindful of the enslavement of the people of Korea, are determined that in due course Korea shall become free and independent.

-1945 के पोछ्डाम घोषणा जिसे जापान ने आत्मसमर्पण के शर्त के रूप में स्वीकार किया था। यह पुनः पुष्टि करता कि काइरो घोषणा की शर्तें आगे भी लागू किये जायेंगे।

12सन 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद दोक्दो के संबंध में मित्र राज्यों के सर्वोच्च कमांडर की स्थिति क्या थी?
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-द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, संयुक शक्तियों के सुप्रीम कमांडर जनरल मुख्यालय ने उन क्षेत्रों से दोक्दो को अलग कर दिया था जो जापान के द्वारा नियंत्रित और शासित किये जाते थे l जैसा कि 29 जनवरी 1946 को संयुक शक्ति सूचि संख्या के सर्वोच्य नायक (SCAPIN-Supreme Commander of Allied Powers Index Number 677) के निर्देशों में निर्दिष्ट किया गया है।

-कहे गए शर्तों के अनुच्छेद 3 में ,” जापान के चार द्वीप (होन्शु, क्यूशू, होकाईदो, शिकीकू) और लगभग 1000 छोटे छोटे निकटवर्ती द्वीप” जापान के क्षेत्र को शामिल करता है एवं उल्लुंग्दो, दोक्दो और जेजूदो को उस से अलग करता है।

SCAPIN 677 (29 जनवरी 1946)

जापान से अलग किये गए निश्चित क्षेत्र के सरकार एवं प्रशासनिक विभाजन

3. For the purpose of this directive, Japan is defined to include…excluding (a) Utsuryo (Ullung) island,
Liancourt Rocks and Quelpart (Saishu or Cheju) island...

SCAPIN-677 (January 29, 1946)

हालाकि, SCAPIN 1033 दोक्दो के 12 नॉटिकल मील के क्षेत्र में जापान के जहाज़ों और ब्यक्तियों को आने का निषेध करता है।

SCAPIN 1033(22 जून 1946) )

जापानी फिशिंग एवं व्हलिंग के लिए अधिकृत क्षेत्र

3. (b) Japanese vessels or personnel thereof will not approach closer than twelve (12) miles to
Takeshima(37°15′ North Latitude, 131°53′ East Longitude) nor have any contact with said island.

13सन 1951 की सैन फ्रांसिस्को शांति समझौता दोक्दो के सम्बन्ध में क्या प्रावधान रखता है ?
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1951 में जापान के साथ हुए सैनफ्रांसिस्को शांति समझौता में आर्टिकल 2 यह जानकारी देता है कि जापान कोरिया के स्वतंत्रता को मान्यता देता है और कोरिया के ऊपर सारा अधिकार, टाइटल और दावे का परित्याग करता है l साथ हीं साथ क्वेल्पार्ट(जेजुदो), पोर्ट हैमिलटन(ग्योमुन्दो) और डग्लेते (उल्लेंग्दो)का भी परित्याग करता है।

सैनफ्रांसिस्को जापान के साथ हुए शांति समझौता का भाग

Article 2
(a) Japan recognizing the independence of Korea, renounces all right, title and claim to Korea, including the
islands of Quelpart, Port Hamilton and Dagelet.

कोरिया के 3000 द्वीपों में से उधृत आलेख, उदाहरण के तौर पर केवल जेजुदो, ग्योमुन्दो और उल्लेंग्दो को शामिल करता है l अतः यह एक सत्य है कि उधृत आलेख में दोक्दो का नाम साफ़ तौर से नहीं शामिल किये जाने का मतलब यह नहीं है की दोक्दो कोरिया के उन क्षेत्रों में शामिल नहीं है जो जापान से अलग हुआ है।

1943 के काइरो के घोषणा और 1946 के SCAPIN 677 में प्रतिबिंबित संयुक्त शक्तियों के पक्ष को देखते हुए यह समझना चाहिए कि दोक्दो कोरिया के उन क्षेत्रों में शामिल है जो जापान से अलग हुआ है।

14सन 1954 में दोक्दो मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने के जापान के सुझाव पर कोरियाई सरकार का जवाब क्या है ?
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1954 में जब जापान की सरकार ने यह मांग की थी कि दोक्दो के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्यालय (ICJ: International Court of Justice) में ले जाना चाहिए तब कोरिया गणराज्य की सरकार ने निम्नलिखित पक्ष पेश किये थे।

  • - सरकार का प्रस्ताव कुछ और नहीं बल्कि न्यायिक प्रक्रिया के रूप में एक और गलत छद्म रूप है l दोक्दो के ऊपर कोरिया का क्षेत्रीय अधिकार है और कोरिया को इसमें कोई तर्क नहीं दिखता है कि क्यों उसे इस अधिकार के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यालय (ICJ) से कोई सत्यापन लेना चाहिए।
  • - जैसा कि जापान की सरकार निसंदेह इस तथ्य को अच्छी तरह से जानती है कि आक्रमण और अतिक्रमण धीरे धीरे हुआ, और 1910 में पुरे कोरिया के ऊपर जापान के शासन के रूप में पल्लवित हुआ l सारे ब्यवहारिक कार्य के लिए 1904 में जापान ने कोरिया को नियंत्रित करने के लिए सारी शक्तियों को जब्त कर लिया l जापान ने कोरिया को तथाकथित कोरिया जापान प्रोटोकोल को हस्ताक्षर करने पर वाध्य कर दिया l यह कोरिया और जापान के बीच में पहला समझौता था।
  • - Dokdo was the first Korean territory which was made a victim of the Japanese aggression. Now, in view of the unreasonable and persistent claim of the Japanese Government over Dokdo, the people of Korea are seriously concerned that Japan might be repeating the same course of aggression. To Koreans, Dokdo is not merely a tiny island in the East Sea. It is the symbol of Korean sovereignty.

कोरिया गणराज्य की सरकार इसी स्थिति को आगे भी कायम रखेगा।

15दोक्दो के ऊपर कोरिया गणराज्य कैसे गणराज्य का अधिकार करता है ?
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दोक्दो के ऊपर कोरिया गणराज्य का वैधानिक, प्रशासकीय एवं न्यायिक अधिकार है।

  • पहला, द्वीप की देख-रेख के लिए दोक्दो में कोरियाई पुलिस फ़ोर्स स्थित है। .
  • दूसरा, कोरियाई सेना दोक्दो के जल और आकाश की रक्षा करती है।
  • तीसरा, खास तौर पर दोक्दो के लिए बहुत तरह के विधि कानून बनायें गए हैं और उन्हें लागू किया गया है।
  • चौथा, दोक्दो में प्रकाश गृह और अन्य सुविधाओं की भी ब्यवस्था की गयी है और वो सब कार्य कर रहे हैं l view
  • पाचवाँ, कोरियाई आम नागरिक वहाँ रह रहे हैं।

कोरिया गणराज्य की सरकार दोक्दो के क्षेत्रीय एकता की रक्षा करना जारी रखेगा।